गर्मियों का मौसम था और सूर्य देव अपनी प्रचंड गर्मी से धरती को तपा रहे थे। ऐसे मौसम में सामान्यतः लोग शाम को टहलने निकला करते है। मेरी दादी जिनकी उम्र 85 वर्ष से अधिक है, वे कभी हमारे घर तो कभी चाचा जी के घर रहती है। पास में ही तो है हमारे चाचा जी का घर, कुछ 7-8 मकान छोड़ कर। दादी शाम के वक्त टहलने निकलती, मंदिर जाती, लोगों से मिलती और फिर हमारे घर आती।
एक शाम घर की घंटी बजी, मेरा भतीजा जो कि 6 वर्ष का है उसने दरवाजा खोला और बताया – “अम्मा आयी है”, वो दादी को अम्मा बुलाता है। लेकिन ये क्या, काफी देर हो गई दादी अभी तक ऊपर न आयीं थी ? मैंने सोचा क्यों न नीचे जाकर देख आऊँ ? नीचे जाकर देखा तो दादी पहली सीढ़ी पर बैठी हुई थी।
मैंने पूछा – “क्या दादी, यहाँ क्यों बैठी हो? चलो ऊपर चलो।”
दादी ने जवाब दिया – “अरे बेटा ! हाफ़ जाइत है, थोड़ा सहता लें।”
मैंने कहा – “अरे दादी ! चलो मैं आपको सहारे से ले चलता हूँ।”
दादी उठ खड़ी हुयी, पर शायद अभी भी वो थकी हुई थी और कहने लगी – “अब मुझमें वो ताकत न रही, अब थोड़ा उठने-बैठने भर से ही थक जाती हूँ।” इतना कहते हुए वो फिर से बैठने वाली ही थी कि मैंने उनकों अपनी ओर मोड़ते हुए कहा – “अच्छा ! मैं आपको गोद में लेकर चलता हूँ।” और उनकों मैंने अपनी गोद में उठा लिया।
इतने में वो बोल पड़ी – “अरे-अरे ! बेटा तुम गिर पड़ोगे, चोट लग जाएगी।”
दादी के इतना कहते-कहते मैं कुछ सीढ़ियाँ चढ़ चुका था, इससे पहले वे कुछ और कहती मैं उनकों ऊपर ले आया।
लेकिन ये क्या? उनकी आँखों में आँसू छलक आए। एक पल तो मुझे कुछ समझ न आया और मैं स्तब्ध रह गया। और फिर “अरे ! मेरा बेटा” कहते हुए मुझसे लिपट कर रोने लगी। उस वक्त उन्होंने मुझे प्यार कि भाषा दिखला दी और परिभाषा समझा दी। और फिर मैंने भी उन्हे प्यार से अपनी बाहों में भर लिया। मेरी दादी..।
Writer: Amit Gupta
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Bahut Hi Sundar
😍😍👌👌Love…. A feeling that have no defination